राजस्थान के लोक संगीत

 

Rajasthan Folk music ( लोक संगीत )

भारत संगीत गायन शैलियां ( Bharat Music Singing Styles )

1. ध्रुपद गायन शैली ( Dhrupad singing style )

  • जनक – ग्वालियर के शासक मानसिंह तोमर को माना जाता है।
  • महान संगीतज्ञ बैजू बावरा मानसिंह के दरबार में था।
  • संगीत सामदेव का विषय है।
  • कालान्तर में ध्रुपद गायन शैली चार खण्डों अथवा चार वाणियां विभक्त हुई।

(अ) गोहरवाणी ( Gorawani )

  • उत्पत्ति- जयपुर
  • जनक- तानसेन

(ब) डागुर वाणी ( Dagur vani )

  • उत्पत्ति- जयपुर
  • जनक – बृजनंद डागर

(स) खण्डार वाणी ( Khandar Vani )

  • उत्पत्ति – उनियारा (टोंक)
  • जनक- समोखन सिंह

(द) नौहरवाणी जयपुर ( Navhwani Jaipur )

  • जनक- श्रीचंद नोहर

2. ख्याल गायन शैली ( Kayal singing style )

  • ख्याल फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है कल्पना अथवा विचार
  • जनक- अमीर खुसरो जो अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में था।
  • खुसरो को कव्वाली का जनक माना जाता है।
  • कुछ इतिहास -कार जोनपुर (महाराष्ट्र) के शासक शाहसरकी को ख्याल गायन श्शैली का जनक मानते है।

3. माण्ड गायन शैली ( Mand Singing style )

10 वीं 11 वीं शताब्दी में जैसलमेर क्षेत्र माण्ड क्षेत्र कहलाता था। अतः यहां विकसित गायन शैली माण्ड गायन शैली कहलाई। एक श्रृंगार प्रधान गायन शैली है।

प्रमुख गायिकाएं

  • अल्ला-जिल्हा बाई (बीकानेर) – केसरिया बालम आवो नही पधारो म्हारे देश।
  • गवरी देवी (पाली) भैरवी युक्त मांड गायकी में प्रसिद्ध
  • गवरी देवी (बीकानेर) जोधपुर निवासी सादी मांड गायिका।
  • मांगी बाई (उदयपुर) राजस्थान का राज्य गीत प्रथम बार गाया।
  • जमिला बानो (जोधपुर)
  • बन्नों बेगम (जयपुर) प्रसिद्ध नृतकी “गोहरजान” की पुत्री है। 

4. मांगणियार गायन शैली ( Manganiyar Vocal Style )

राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र विशेषकर जैसलमेर तथा बाड़मेर की प्रमुख जाति मांगणियार जिसका मुख्य पैसा गायन तथा वादन है।

  • मांगणियार जाति मूलतः सिन्ध प्रान्त की है तथा यह मुस्लिम जाति है।
  • प्रमुख वाद्य यंत्र कमायचा तथा खड़ताल है।
  • कमायचा तत् वाद्य है।
  • इस गायन शैली में 6 रंग व 36 रागिनियों का प्रयोग होता है।
  • प्रमुख गायक 1 सदीक खां मांगणियार (प्रसिद्ध खड़ताल वादक) 2 साकर खां मांगणियार (प्रसिद्ध कम्रायण वादक)

5. लंगा गायन शैली ( Langa vocal style )

  • लंगा जाति का निवास स्थान जैसलमेर-बाडमेर जिलों में है।
  • बडवणा गांव (बाड़मेर) ” लंगों का गांव” कहलाता है।
  • यह जाति मुख्यतः राजपूतों के यहां वंशावलियों का बखान करती है।
  • प्रमुख वाद्य यत्र कमायचा तथा सारंगी है।
  • प्रसिद्ध गायकार 1 अलाउद्दीन खां लंगा 2 करीम खां लंगा 

6. तालबंधी गायन शैली ( Melodious singing style )

  • औरंगजेब के समय विस्थापित किए गए कलाकारों के द्वारा राज्य के सवाईमाधोपुर जिले में विकसित शैली है।
  • इस गायन शैली के अन्तर्गत प्राचीन कवियों की पदावलियों को हारमोनियम तथा तबला वाद्य यंत्रों के साथ सगत के रूप में गाया जाता है।
  • वर्तमान में यह पूर्वी क्षेत्र में लोकप्रिय है।

7. हवेली संगीत गायन शैली ( Mansion music singing style )

  • प्रधान केन्द्र नाथद्वारा (राजसमंद) है।
  • औरंगजेब के समय बंद कमरों में विकसित गायन शैली।

प्रसिद्ध घराने

1. जयपुर घराना ( Jaipur Gharana )

  • संस्थापक – मनरंग (भूपत खां)
  • संगीतज्ञ – मोहम्मद अली खां कोठी वाले
  • घराना ख्याल गायन शैली का प्रयोग करता है।

2. सैनिया घराना जयपुर ( Sainia Gharana Jaipur )

  • इसे सितारियों का घराना भी कहते है।
  • प्रसिद्ध संगीतज्ञ – सितारवादक – अमृत सैन
  • संस्थापक- सूरतसैन (तानसेन का पुत्र)
  • यह घराना गोहरवाणी का प्रयोग करता है।

3. मेवाती घराना ( Mewati Gharana )

  • संस्थापक – नजीर खां (जोधपुर के शासक जसवंत सिंह के दरबार में था )
  • प्रसिद्ध संगीतज्ञ – पं. जसराज

4. डागर घराना ( Dagar Gharana )

  • संस्थापक – बहराम खां डागर (जयपुर शासक रामसिंह के दरबार में था।)
  • यह घराना डागुरवाणी का प्रयोग करता है।
  • जहीरूद्दीन डागर व फैयाजुद्दीन डागर जुगलबंदी के लिए जाने जाते है।

5. पटियाला घराना ( Patiala Gharana )

  • संस्थापक -फतेह अली तथा अली बख्श खां
  • प्रसिद्ध संगीतज्ञ- पाकिस्तानी गजल गायक- गुलाम अली

6. अन्तरोली घराना ( Antroli Gharana )

  • संस्थापक -साहिब खां
  • यह घराना खण्डार वाणी प्रयोग करता है।
  • प्रसिद्ध संगीतज्ञ – मान तौल खां/रूलाने वाले फकीर

7. अला दीया घराना ( Ala Diya Gharana )

  • संस्थापक – अलादीया खां
  • यह घराना खण्डार वाणी व गोहरवाणी का प्रयोग करता है।
  • यह जयपुर घराने की उपशाखा है।
  • प्रसिद्ध गायिका – श्री मति किशौरी रविन्द्र अमोणकर

8. बीनकर घराना ( Beenakar Gharana )

  • संस्थापक – रज्जब अली बीनकर
  • रामसिंह-द्वितीय का दरबारी व्यक्ति है।

9. दिल्ली घराना ( Delhi Gharana )

  • संस्थापक- सदारंग
  • यह घराना ख्याल गायन शैली का प्रयोग करता है।
  • ख्याल गायन शैली को प्रसिद्धी दिलाने का श्रेय सदारंग को दिया जाता है।

10. किराना घराना ( Kirana Gharana )

  • यह मूलत – माहाराष्ट्र का घराना है।*
  • प्रसिद्ध संगीतज्ञ- 1. गंगुबाई हंगल 2. रोशनआरा बेगम 3. पं. भीमसेन जोशी (भारत रत्न 2008में)

राजस्थान भाषा साहित्य अकादमी की स्थापना1983 ई. में की गई। राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान की स्थापना सन्1950 ई. में जोधपुर में की गई। सन् 2002 में उस्ताद किशन महाराज, जाकिर हुसैन (दोनों तबला वादक) किशौरी रविन्द्र अमोणकर को पदम भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ग्रंथ एंव उनकी रचना ( Texts and their composition )

  • नाट्यशास्त्र-भरतमुनि
  • वृहद्देशी-मतंगदेव
  • राग तरंगिणी-लोचन

मान कुतूहल-राजा मानसिंह तोमर

राग माला ,राग मंजरी, नर्तन निर्णय, सदाक चंदोदय -पुण्डरिक विट्ठल

संगीत दर्पण- पंडित दामोदर मिश्र

  • राग दर्पण -फकीरुल्ला
  • संगीत पारिजात-अहोबल

सरस्वती कंठाभरण ,चंद्र प्रकाश-राजा भोज

संगीतराज, संगीत मीमांसा, रसिकप्रिया( गीत गोविंद की टीका) सुड प्रबंध – महाराणा कुम्भा

राग चंद्रिका-भट्ट द्वारका नाथ

  • राग रचनाकार -राधा कृष्ण(सवाई प्रताप सिंह के काल मे )
  • स्वर सागर -उस्ताद चाँद खां

श्रृंगार हार -राणा हम्मीर (रणथम्भोर)

  • ?संगीत रत्नावली-सोमपाल
  • ?संगीत सागर-गणपत भारती
  • राधा गोविंद संगीत सार- बृजपाल भट्ट
  • संगीत राग कल्पद्रुम कृष्णानंद व्यास( मेवाड़)
  • स्वर मेल कलानिधि- रामा मात्य
  • “द इंडियन सॉन्ग ऑफ सोंग्स”- एडविन अरनोल्ड ( यह गीतगोविंद का अंग्रेजी रूपांतरण है)
  • नगमाते आसफी- मोहम्मद रजा
  • संगीत बालबोध-पंडित V. D. पलुस्कर
  • संगीतानुपराग -बीकानेर महाराजा
  • संगीत विनोद -राव अनूप सिंह

अनूप संगीत विलास ,अनूप संगीत रत्नाकर, अनूपाकुंश ,अनुपराग सागर,अनूप रागमाला -महाराजा अनूप सिंह के दरबारी संगीतज्ञ भाव भट्ट

लक्ष्य संगीत ,भातखंडे ,संगीत शास्त्र ,क्रमिक पुस्तक मलिका, अभिनव राग मंजरी हिंदुस्तानी संगीत पद्धति- पंडित विष्णु नारायण भातखंडे

हस्ताकर रत्नावली -मिर्जा राजा जयसिंह की काल में रचित


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