राजस्थान के प्रमुख किले एवं स्मारक
राजस्थान के प्रमुख किले व स्मारक ( Fort and Monuments )
एक शाही राज्य होने के नाते, राजस्थान में कई शानदार किले और ऐतिहासिक स्मारक हैं। राजस्थान ने कई राजाओ और महाराजा के इतिहास को देखा है ,जिन्होंने अपने शासनकाल के सबूत इन अदभुद स्मारकों और किलों के रूप मे छोड़ दिए है । राजस्थान में ये ऐतिहासिक किले उनके शानदार वास्तुशिल्प सौंदर्य के लिए जाने जाते हैं और दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
गुलाबी शहर के नाम से मशहूर , जयपुर राजस्थान की राजधानी है और यहां बहुत से ऐतिहासिक किले और स्मारक हैं। जयपुर में कुछ प्रमुख ऐतिहासिक स्थानों में आमेर किला, जयगढ़ किला, नाहरगढ़ किला, सिटी पैलेस , हवा महल या पैलेस ऑफ विंड , जल महल, रामबाग महल, आदि शामिल हैं।
जोधपुर, जो sun city के नाम से भी जाना जाता है, मे मेहरणगढ़ का किला, जसवंत थड़ा मेमोरियल और बलसमंद झील और उम्मेद भवन या छीतर पैलेस है।
झीलों का शहर उदयपुर शानदार महलों की भूमि है। इस शहर में प्रमुख महलों में लेक पैलेस, जगमंदिर पैलेस, फतेह प्रकाश पैलेस, शिव प्रकाश पैलेस, इत्यादि शामिल हैं। कुंभलगढ़ किला उदयपुर से थोड़ी ही दूरी में स्थित है। सहेलियां-की-बाड़ी उदय पुर भी सुंदर वास्तुकला के लिए प्रशंसा के योग्य हैं।
जुनागढ़ किला और लालगढ़ महल भी बीकानेर में स्थित हैं जो बहुत खूबसूरत महलों मे से एक हैं। लक्ष्मी निवास पैलेस राजाओ की सुंदर वास्तुकला का भी एक प्रमाण है।
भारत का स्वर्ण शहर, जैसलमेर राजस्थान का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह एक स्वर्ण किला है जो कि भारत का एकमात्र किला है जहा आज भी लोग रहते है
राजस्थान में नीमराना किला और पैलेस, भरतपुर लोहगढ़ किले, चित्तौड़गढ़ किला, कोटा सिटी पैलेस, अलवर सिटी पैलेस, इत्यादि अन्य उल्लेखनीय स्मारक हैं ।
1. चित्तौड़गढ़ का किला (Fort of Chittorgarh )
- उपनाम- किलो का सिरमौर, राज.का गौरव, मालवा का प्रवेश द्वार, राज. का सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट
- स्थित- चित्रकूट पहाड़ी, मेसा का पठार
- आकार – व्हेल मछली जैसा
- एकमात्र ऐसा दुर्ग जिसमे आज भी खेती की जाती है।
- निर्माता चित्रांग मौर्य पुन निर्माण कुंभा
- इसे राजस्थान का गौरव चित्रकूट दुर्ग और प्राचीन किलो का सिरमौर भी कहते हैं
- कुमारपाल प्रबंध के अनुसार इस किले का निर्माण चित्रांग मौर्य ने करवाया था।
किले में स्थिति निर्माण (Building the fort )–
1.पद्मनी महल
2.कुम्भ श्याम मंदिर ( जिसे मीरा मंदिर भी कहा जाता है )
3.आमजा माता मंदिर
4.तुलजा भवानी माता का मंदिर
5. रैदास की छतरी
6.बनवीर दीवार
7.श्रृंगार चवरी
8. नवलखा भंडार (संग्रहालय )
9.कल्लाजी राठौड़ की छटरी
10. विजय स्तम्भ
11. कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति
इस दुर्ग के साथ प्रवेश द्वार है।
यहा महत्वपूर्ण तीन साके-
1. 1303 ईसवी अलाउद्दीन खिलजी एव नवरत्न सिंह के मध्य युद्ध के समय
2. 1537 ईसवी बहादुर शाह विक्रमादित्य के मध्य युद्ध के समय
3. 1567ईसवी अकबर एवं उदयसिंह के मध्य युद्ध के समय
इस इदुर्ग में विजय स्तम्भ स्तित है कर्नल जेम्स टॉड ने ऐसे क़ुतुब मीनार से बेहतर इमारत बताया
2. कुंभलगढ़ दुर्ग राजसमंद ( Kumbhalgarh fort Rajsamand )–
- इसका निर्माण 1443 से 1456 के बीच महाराणा कुम्भा ने करवाया इसका वास्तुकार मंडन था
- इस दुर्ग का निर्माण शिल्पी मंडन की देखरेख में हुआ इस दुर्ग के चारों ओर 36 किमी लंबी दीवार है
- कटार गढ़ दुर्ग इस दुर्ग के अंदर बना हुआ है जिसे मेवाड़ की आंख कहते हैं यही 1940 में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था
- कटार गढ़ के बारे में अबुल फजल ने लिखा है कि यह इतनी बुलंदी पर बना है की नीचे से ऊपर देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती है
- इस दुर्ग में उदय सिंह का पालन पोषण और राज्य अभिषेक हुआ था कर्नल जेम्स टॉड ने इस दुर्ग को एटुक्सन की उपमा दी इसका निर्माण कुंभा ने अपनी महारानी के लिए करवाया
- इसकी दिवार इतनी चौड़ी हे की चार घुड़सवार एक साथ चल सकते है
3. मेहरानगढ़ किले ( Mehrangarh Fort )
जोधपुर में निर्माण 1460 में राव जोधा
मेहरानगढ दुर्ग की नींव में ज्योतिषी गणपत दत्त के ज्योतिषीय परामर्श पर ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (तदनुसार, 12 मई 1459 ई) वार शनिवार को राजाराम मेघवाल को जीवित ही गाड़ दिया गया। राजाराम के सहर्ष किये हुए आत्म त्याग एवम स्वामी-भक्ति की एवज में राव जोधाजी राठोड़ ने उनके वंशजो को मेहरानगढ दुर्ग के पास सूरसागर में कुछ भूमि भी दी ( पट्टा सहित ), जो आज भी राजबाग के नाम से प्रसिद्ध हैं। होली के त्यौहार पर मेघवालों की गेर को किले में गाजे बाजे के साथ जाने का अधिकार हैं जो अन्य किसी जाति को नही है। राजाराम का जन्म कड़ेला गौत्र में केसर देवी की कोख से हुआ तथा पिता का नाम मोहणसी था।
Note-राव जोधा जोधपुर के राजा रणमल की 24 संतानों मे से एक थे। वे जोधपुर के पंद्रहवें शासक !
प्रमुख दर्शनीय स्थल- मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना आदि।
जोधा को चामुँडा माता मे अथाह श्रद्धा थी। चामुंडा जोधपुर के शासकों की कुलदेवी होती है। राव जोधा ने 1460 मे मेहरानगढ किले के समीप चामुंडा माता का मंदिर बनवाया और मूर्ति की स्थापना की।
जोधपुर नरेश जसवंतसिंह सहित कई राजाओं के समाधि स्थल बने हु यह किला एक पहाड़ी पर बना हुआ है जिसको इस पहाड़ी को भोर चिडिया के नाम से जाना जाता है यह किला शहर से 410 फीट की ऊँचाई पर स्थित, इस किले में कुल सात दरवाजे है, जिनमे
जयपाल (अर्थ – जीत) गेट का भी समावेश है,
फत्तेहपाल (अर्थ – जीत)
इसके संबंध में विशेष घटना- 30 September 2008 ko नवरात्र के पहले ही दिन राजस्थान के जोधपुर में चामुंडा देवी मंदिर में मंगलवार तड़के मची भगदड़ में लगभग 150 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 55 अन्य घायल हो गए। घायलों में से चार की हालत गंभीर है। इससे पूर्व 200 लोगों के मरने की खबर थी।
4. रणथंबोर का दुर्ग ( Ranthambore Fort )
- बीहड़ वन और दुर्गम घाटियों के मध्य अवस्थित यह गिरीदुर्ग अपनी नैसर्गिक सुरक्षा व्यवस्था ,विशिष्ट सामरिक स्थिति और सुद्ड संरचना के कारण एक अजेय दुर्ग समझा जाता था
- सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंबोर के बारे में अबुल फजल ने लिखा है यह दुर्ग पहाड़ी प्रदेश के बीच में है इसलिए लोग कहते हैं कि अन्य सभी दुर्ग नंगे है परंतु यह बख्तरबंद दुर्ग है
- किले में स्थित प्रमुख द्वार नौलखा दरवाजा, हाथी पोल गणेश पोल, सूरज पोल ,और त्रिपोलिया प्रमुख प्रवेश द्वार है
- दुर्ग में हमीर महल , सुपारी महल , हम्मीर की कचहरी, सुपारी महल ,बादल महल जोरा भोरा, 32 खंभों की छतरी, रनिहाड़ तालाब ,पीर सदरुद्दीन की दरगाह ,लक्ष्मी नारायण मंदिर (भग्न रूप में) जैन मंदिर तथा समूचे देश में प्रसिद्ध (त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर) महत्वपूर्ण स्थान है
- चौहान शासक पृथ्वीराज तृतीय की तराइन के द्वितीय युद्ध (1192)में पराजय के पश्चात चौहानों की शक्ति कमजोर हो गई तथा पृथ्वीराज का पुत्र गोविंदराज सामंत शासक की हैसियत से रणथंबोर की गद्दी पर बैठा
- जुलाई (1301) अलाउद्दीन ने रणथंबोर पर हमला कर दिया जिसमें हमीर देव चौहान ने केसरिया करने की ठानी और अंततः शत्रु सेना से युद्ध करता वह वीरगति को प्राप्त हुआ
- आक्रमण करने से पूर्व है राजपूत स्त्रियों ने हमीर की रानी रंग देवी उसकी पुत्री पदमला के नेतृत्व में जल जौहर किया था वस्तुतः रणथंबोर का यह साका और जौहर राजस्थान के इतिहास का पहला साका और जौहर था
5. जैसलमेर दुर्ग ( Jaisalmer Fort ) –
- इस दुर्ग का निर्माण राव जैसल ने 1155 में त्रिकूट पहाड़ी पर करवाया
- इसमें 99 बुर्ज है
- इसमें ढाई साके के प्रमाण मिलते है
- इस पर 2009 में डाक टिकट जारी किया गया
- इस दुर्ग के बारे में कहा जाता हे की इस तक पहुचने के लिए पत्थर की टंगे चाहिए
6. जयगढ़ दुर्ग (Jaigad Fort)–
- इस दुर्ग का निर्माण 16वी शताब्दी में मान सिंह ने करवाया था इसको वर्तमान सवरूप सवाई जय सिंह ने दिया ✒इसमें एशिया की सबसे बड़ी तोप स्तित है
- एक मात्र दुर्ग जिसमे तोप बनाने का कारखाना था
- इसमें एक दुर्ग विजय गढ़ी स्तित है-
7. गागरोन दुर्ग ( Gagrgon Fort )-
- इस दुर्ग का निर्माण 7-8 वी शताब्दी में डोडा राजपूत ने करवाया
- इस दुर्ग में पीपा की छतरी स्तित है
- यह बिना नीव एक चट्ठान पर खड़ा दुर्ग है
- इसमें 2 साके हुए
स्मारक (Monuments):-
स्मारक एक ऐसी संरचना है जो या तो खास तौर पर किसी व्यक्ति या महत्वपूर्ण घटना की स्मृति में बनाई गई है, या किसी सामाजिक तबके के लिए उसके पुराने अतीत की याद दिलाने के रूप में महत्वपूर्ण बन गई है। जैसे:-
- महान लैंडमार्क के रूप भवन
- मृतक क़ी कब्र के निकट उसे श्रद्धांजलि देने के लिए चर्च द्वारा बनाये गए स्मारक,
- मृत शरीर को रखने के लिए मकबरे और गुम्बद,
- धार्मिक या स्मरण के लिए बनाई गयी इमारतें,
- महान नेताओं या घटनाओं की स्मृति में बनवाये गए स्मृति स्थापत्य,
Forts and Monuments Question and Quiz
1: जिसमे तुलजा भवानी का मंदिर ,रैदास की मूर्ति , आकर्षक नौ मंजिला कीर्ति स्तम्भ , बेड़च व गम्भीरी नदी के संगम पर मेसा के पठार पर अवस्तिथ ऐसा दुर्ग का नाम आप किसका लेना चाहोगे ?
उत्तर- चितोड़गढ़ दुर्ग
2: उड़ना पृथ्वीराज की छतरी किस दुर्ग की सोभा बढ़ाती हैं??
उत्तर- कुंभलगढ़ दुर्ग
3: 36 किमी लंबी दीवार पर चार घुड़सवार एक साथ चल सकते हैं, ऐसी दीवार किस दुर्ग का आकर्षक का केंद्र है?
उत्तर- कुंभलगढ़ दुर्ग
4: मिट्टी का परकोटा होने के कारण लार्ड लेक किस दुर्ग को बारूद से उड़ाने में असफल रहा था?
उत्तर- भरतपुर का दुर्ग
5: नागौर का किला मजबूती के लिए जाना जाता था तो कौनसा किला अदभुत शिल्पकला के लिये जाना जाता है?
उत्तर- जूनागढ़ का किला
6: जौहर और साका में क्या अंतर है ?
जौहर _महिलाओ द्वारा जिन्दा जलना
साका _महिलाओ द्वारा जिन्दा जलना व पुरूषो द्वारा केसरिया पहनकर लङने के लिए युद्ध मे उत्तरना व विरगति पाना
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