राजस्थानी मुहावरे,कहावते
अंधा की माखी राम उड़ावै। बेसहारे व्यक्ति का साथ भगवान देता है। अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । मूर्ख व्यक्ति साधन होते हुए भी उनका उपयोग नहीँ कर पाते। अक्कल उधारी कोनी मिलै। हिंदी - अकल उधार में प्राप्त नहीं होती। अक्कल कोई कै बाप की कोनी। हिंदी - अकल पर किसी का सर्वाधिकार नहीं है | अगस्त ऊगा, मेह पूगा । हिंदी -अगस्त माह शुरू होते ही वर्षा पहुँच जाती है | अणदेखी न नै दोख, बीनै गति न मोख। हिन्दी – निर्दोष पर दोष लगाने वाले की कहीँ गति नहीँ होती। अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख। हिंदी -बिना मांगे कीमती चीज मिल जाती है पर मांगने पर भीख भी नहीं मिलती है। अत पितवालो आदमी, सोए निद्रा घोर। अण पढ़िया आतम कही, मेघ आवै अति घोर | हिन्दी - अधिक पित्त प्रकृति का व्यक्ति यदि दिन मेँ भी अधिक सोए तो यह भारी वर्षा का सूचक है। अदपढ़ी विद्या धुवै चिन्त्या धुवे सरीर । हिंदी -अधूरे ज्ञान से चिंता बढती है और शरीर कमजोर होता है अनहोणी होणी नहीं, होणी होय सो होय। हिंदी -जो नहीं होना है वह होगा नहीं और होने को टाल नहीं सकते है | अम्बर कै थेगळी कोनी लागै । हिंदी -आकाश में पैच नहीं लगाया जा सक